🙏 आरती संग्रह | Aarti Sangrah 🙏
॥ कर्पूर आरती ॥
कर्पूरगौरं करुणावतारं, संसारसारं भुजगेन्द्र हारं । सदा बसन्तं हृदयारबिन्दे भबं भवानीसहितं नमामि ।।
॥ मंगलाचरण ॥
ॐ अज्ञान तिमिरान्धस्य ज्ञानाञ्जन शलाकया ।
चक्षुरुन्मीलितं येन तस्मै श्रीगुरवे नमः ।।
॥ संपूर्ण मंत्र पुष्पांजली ॥
ॐ एकदंताय विद्महे वक्रतुण्डाय धीमहि ।
तन्नो दंतीप्रचोदयात् ।
ॐ नारायण विद्महे वासुदेवाय धीमहि ।
तन्नो विष्णुः प्रचोदयात् ।
॥ दुर्गाजी पुष्पांजलि ॥
ॐ जयन्ती, मङ्गला, काली, भद्रकाली, कपालिनी ।
दुर्गा, शिवा, क्षमा, धात्री, स्वाहा, स्वधा नमोऽस्तु ते ॥
॥ गणपति जी आरती ॥
गणपति की सेवा मंगल मेवा, सेवा से सब विघ्न टरैं ।
तीन लोक के सकल देवता,द्वार खड़े नित अर्ज करैं ॥
॥ गणेश आरती ॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा ॥
॥ गणेश आरती मराठी ॥
सुखकर्ता दुखहर्ता वार्ता विघ्नाची । नुरवी पुरवी प्रेम कृपा जयाची ।
सर्वांगी सुंदर उटी शेंदुराची । कंठी झळके माळ मुक्ताफळांची ॥
॥ विष्णु जी आरती ॥
ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी ! जय जगदीश हरे ।
भक्त जनों के संकट, क्षण में दूर करे ॥
॥ श्री अम्बा जी आरती ॥
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी ।
तुमको निशिदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी ॥
॥ श्री दुर्गाजी आरती ॥
अम्बे तू है जगदम्बे काली, जय दुर्गे खप्पर वाली,
तेरे ही गुण गावें भारती, ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती ॥
॥ हनुमान जी आरती ॥
जय हनुमान ज्ञान गुण सागर।जय कपीस तिहुँ लोक उजागर ॥
राम दूत अतुलित बल धामा। अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा ॥
॥ श्री हनुमान चालीसा ॥
श्री गुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुर सुधारि ।
बरनउं रघुबर विमल जसु, जो दायकु फल चारि ॥
॥ श्री दुर्गा चालीसा ॥
नमो नमो दुर्गे सुख करनी । नमो नमो अम्बे दुःख हरनी ॥
निराकार है ज्योति तुम्हारी । तिहूँ लोक फैली उजियारी ॥
॥ श्री रामायण आवाहन ॥
जो सुमिरत सिद्ध होय गण नायक करिवर बदन ।
करहुँ अनुग्रह सोई बुद्धि राशि शुभ गुण सदन ॥
॥ श्री रामायण विसर्जन ॥
जय जय राजा राम की,जय लक्ष्मण बलवान ।
जय कपीस सुग्रीव की, जय अंगद हनुमान ॥
॥ संपूर्ण रामायण ॥
॥ संपूर्ण रामायण PDF रामचरितमानस श्री तुलसीदास जी ॥
॥ संपूर्ण सुंदरकांड ॥
॥ संपूर्ण सुंदरकांड PDF ॥
॥ श्री रामायणजी की आरती ॥
आरती श्री रामायण जी की । कीरति कलित ललित सिया-पी की ॥ गावत ब्राह्मादिक मुनि नारद ।
बालमीक विज्ञान विशारद । शुक सनकादि शेष अरु शारद । बरनि पवनसुत कीरति नीकी ॥
॥ श्री राम की पहली आरती ॥
श्री रामचन्द्र कृपालु भजु मन हरण भव भय दारुणं ।
नव कंजलोचन, कंज – मुख, कर – कंज, पद कंजारुणं ॥
॥ श्री राम की दूसरी आरती ॥
आरती कीजे श्रीरामलला की । पूण निपुण धनुवेद कला की ॥
धनुष वान कर सोहत नीके । शोभा कोटि मदन मद फीके ॥
॥ श्री राम की तीसरी आरती ॥
आरती कीजै रामचन्द्र जी की । हरि-हरि दुष्टदलन सीतापति जी की ॥
पहली आरती पुष्पन की माला । काली नाग नाथ लाये गोपाला ॥
