श्री राम जानकी बैठे हैं मेरे सीने में, (भजन)

श्री राम जानकी बैठे हैं मेरे सीने में, (भजन)

🙏 भजन संग्रह 🙏




॥ श्री राम जानकी बैठे हैं मेरे सीने में, (भजन) ॥

श्री राम जानकी बैठे हैं मेरे सीने में, (भजन)

॥ भजन ॥

नहीं चलाओ बाण व्यंग के ऐह विभीषण,
ताना ना सेह पाऊं, क्यों तोड़ी है यह माला,
तुझे ए लंकापति बतलाऊं,
मुझ में भी है तुझ में भी है, सब में है समझाऊं,
ऐ लंका पति विभीषण ले देख मैं तुझ को आज दिखाऊं ॥

॥ - जय श्री राम - ॥

श्री राम जानकी बैठे हैं मेरे सीने में,
देख लो मेरे मन के नागिनें में ।
श्री राम जानकी बैठे हैं मेरे सीने में ॥1॥

मुझ को कीर्ति न वैभव न यश चाहिए,
राम के नाम का मुझ को रस चाहिए ।
सुख मिले ऐसे अमृत को पीने में,
श्री राम जानकी बैठे हैं मेरे सीने में ॥2॥

राम रसिया हूँ मैं, राम सुमिरन करू,
सिया राम का सदा ही मै चिंतन करू ।
सच्चा आंनंद है ऐसे जीने में श्री राम,
मेरी राम जी से कह देना जय सियाराम,
श्री राम जानकी बैठे हैं मेरे सीने में ॥3॥

फाड़ सीना हैं सब को यह दिखला दिया,
भक्ति में हैं मस्ती बेधड़क दिखला दिया ।
कोई मस्ती ना सागर मीने में,
श्री राम जानकी बैठे हैं मेरे सीने में ॥4॥